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Monday, February 4, 2013

गीता/अ.2/श.23

"नैनं छिन्दन्ति शश्त्राणि नैनं दहति पावकः।
न चैनं क्लेद्यन्तापो न शोषयति मारुतः।।" (__गीता/अ.2/श.23)

"NAINAM CHHINDANTI SHASTRANI, 
NAINAM DAHATI PAWAKAH. 
NA CHAINAM KLEDAYANTYAPO, 
NA SHOSHAYATI MARUTAH." 

{Soul is indestructible. No weapon can pierce it. Fire cannot burn it. Air and wind cannot dry it out and water cannot wet it.}
शश्त्र इस शरीरी को काट नहीं सकते, अग्नि इसको जला नहीं सकती, जल इसको गीला नहीं कर सकता और वायु इसको सुखा नहीं सकती।

हमने हार देखि है, अब तो जीतने की आदत सी पड़ गई है।
बोले-सो-निहाआआअल ......
सत-श्री-आकाल ..............!!!

_श्री .