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Saturday, June 29, 2013

"दुर्भिक्ष!" की भूमिका

          मैं, श्रीकांत तिवारी, अपनी यात्रा वृत्तांत लिख रहा हूँ! यह एक बड़ा प्रोजेक्ट है! और मैं इसे पूरी तवज्जो दे रहा हूँ! कलम से ड्राफ्ट लिखकर 15/06/13 से ही अब तक ढेर लिख चूका हूँ! इसमें उत्तराखंड की त्रासदी की कोई भी नाजायज एडवांटेज लिए बगैर मैं एक "राम कथा" लिखने जा रहा हूँ, जो मर्यादापुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम की कथा नहीं मेरे अपने राम an another super human being!! की कहानी कहने का प्रयास किया जा रहा है, जिसे पढने के लिए कोई बाध्य नहीं! facebook कोई मैच का मैदान या परीक्षा कक्ष नहीं है और ना ही मैंने कोई इम्तिहान पास करने के लिए या तारीफें और अनावश्यक आकर्षण बटोरने के लिए ज्वाइन किया है! मेरी पोस्ट्स को तो मेरे अपने परिवार वाले कोई तवज्जो नहीं देते ना ही मैंने कभी उन्हें अपने पोस्ट्स पर Like & comments के लिए विवश किया है, ना मैं ऐसे छिछोरेपन पर ध्यान देता हूँ! ना मैं कोई लेखक हूँ ना मैं क्रिटिक्स लिखता हूँ ना किसी विवाद में टांग घुसेड़ता हूँ! मेरा सीधा प्रयास सिर्फ मैत्री है; जिसके लिए मैं खुद सबके लिए जी-जान से हाज़िर हूँ! मेरी यात्रा-वृत्तांत को लिखने और छपवाने के मेरे अपने साधन बेशुमार हैं! और मेरे बच्चे मेरे लेख और ब्लॉग को एक किताब के रूप में ढालने के लिए प्रतिबद्ध हैं! जिसका कोई प्रचार-प्रसार-वितरण और विक्रय का उद्देश्य कतई नहीं होगा! यह एक पारिवारिक रिकोर्ड बुक होगी, जिसमे तमाम FACTS भूतपूर्व - और वर्त्तमान के सन्दर्भ में होंगे! मुझे फिल्म देखने, गाने सुनने, घूमने-फिरने, लिखने-पढने, चित्रकारी, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, कंप्यूटर फोटो एडिटिंग का शौक है , कारोबार नहीं! कौन पढता है, नहीं पढता, पर ध्यान दिए बगैर मैं अपनी धुन में मगन अपनी राह का अकेला ऐसा राही हूँ जिसे कदम उठाते ही स्वतः दिशा-ज्ञान हो जाता है! मेरी मंजिल खुद खुश रहने की है, किसी को दुखी करने की नहीं! पर यदि दुश्मनी भी हो जाय तो मुझे परवाह नहीं! और अपनी ख़ुशी से अपनी मर्जी से अपनी ख़ुशी जिसे तुलसीदास जी ने "स्वान्तःसुखाय" की संज्ञा दी है, ऐन वही मेरा ध्येय है! मेरे "राम" की कहानी, मेरी यात्रा वृत्तांत में भोजन में नमक की तरह घुली होगी! मेरी यात्रा वृत्तांत की कहानी बहु-आयामी होगी और कई तरह के शाब्दिक रंगों में रंगी होगी! किसी को शॉकिंग, तो किसी के लिए सच और सच्चाई पर Embarrassing होगी पर Vulgar कदापि नहीं होगी! मेरी कहानी सवाल उठाएगी, चुनौती देगी और ललकारेगी! और यह एक धारावाहिक की तरह (मुझे अभी नहीं पता) कई भागों में होगी! facebook पर मेरे अपने timeline पर पब्लिश यह कहानी मेरे परिवार सहित मेरे दोस्तों के लिए होगी, fb-friends के लिए होगी ही - पर, फिर कहता हूँ, इसे पढना सबकी अपनी-अपनी मर्ज़ी की बात होगी! जिसके Like(s) & Comments से मेरा कोई लेना-देना नहीं होगा! ना ही मैं किसी प्रश्न का उत्तर दूंगा! कोई फोटो संलग्न नहीं करूँगा! उत्तराखंड-केदारनाथ त्रासदी की चर्चा मैं पूरी निष्पक्षता, बेबाकी और दिलेरी से करूँगा! जलियांवालाबाग के अनुभव, स्वर्ण-मंदिर की सैर, वैष्णव देवी-यात्रा, हरिद्वार, ऋषिकेश की चर्चा में मेरे शब्दों से दृश्य प्रस्तुत करने का प्रयास करूँगा! कोई फोटो यदि मुझे पोस्ट करनी होगी तो वो अलग से पोस्ट की जायेगी, यात्रा-वृत्तांत के साथ नहीं! मेरी कहानी के "राम" की कथा लिखना मुझे मेरे मरने से पहले लिखकर मेरे बच्चों को दे जाना अनिवार्य है वरना ये कई ऐतिहासिक सच्चाइयों से वंचित रह जायेंगे! मेरी यात्रा-वृत्तांत का नाम है - "दुर्भिक्ष!"
कौन है यह 'राम?'
चंद शब्दों में ही स्पष्ट हो जाएगा! कोई सस्पेंस नहीं - बस राम की कहानी! और मेरे सवाल !
तो आईये~
सुस्वागतम 
मैं पहले भाग के साथ, तुरंत 
आता हूँ
_श्री .