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Thursday, May 24, 2012

वंश! प्रणव!! डुग्गु!!! ...whatever

 लोहरदगा,          24, मई`2012           08:25प्रात:
डुग्गु अभी मेरे साथ है, मेरे पास है, मेरे साथ खेल रहा है। इसने एक नियम बना लिया है कि जब भी मेरी गोद मैं होगा और मैं अपने पसंद की खाकी shorts पहने रहूँगा, ये उसपे ज़रूर पिस्सी कर देगा! गरमा-गरम, भीतर तक!

श्रीकांत तिवारी